मूल्य और मीडिआ
-राम प्रकाश अनंत
अक्सर हम रोना रोते हैं कि समाजिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है. प्रत्यक्ष रूप से यह देख भी जा रहा है कि जीवन के हर क्षेत्र का अवमूल्यन हुआ है. जो व्यक्ति को समाज से काट कर देखते हैं उनके लिए इसकी व्याख्या बहुत सीधी हैं. यानी सामाजिक पतन को रोकने के लिए लोगों के आचरण में नैतिक एवं धार्मिक उपदेशों द्वारा सुधार की आवश्यकता है. दर असल यह समझने की आवश्यकता है कि जब संपूर्ण समाज का पतन हो रहा है तब उसके कारण समाजिक आधार में ही सन्नहित हैं और बिना उस आधार को बदले आप सामाजिक पतन को रोक नहीं सकते. दर असल पूंजीवादी प्रवृत्तियों ने पूरे सामाजिक आधार को इस क़दर मूल्यहीन बना दिया है कि एक संदर्भ में हम जिसे नैतिक पतन कहते हैं दूसरे संदर्भ में उसे नैतिक मूल्य कहते हैं क्योंके पूंजीवाद के हित उससे जुड़े होते हैं. कुछ समय पहले धोनी एवं सचिन मीडिया मे छाए रहे. धोनी इसलिए कि उन्होने माल्या के साथ अब तक की सबसे बडी डील की है और सचिन छाए रहे कि उन्होने उसी डील को ठुकरा कर उच्च नैतिक मूल्य स्थापित किए है. मीडिआ ने उनके बारे में लिखा कि सचिन ने साबित कर दिया कि पैसा ही सब कुछ नहीं होता है नैतिक मूल्य भी होते हैं. अगर वास्तव में नैतिक मूल्यों का मामला होता तो मीडिआ को धोनी के बारे में लिखना चाहिए था कि धोनी ने यह साबित कर दिया कि पैसा ही सब कुछ है मूल्यों का कोई अर्थ नहीं है. दर असल मीडिआ का मूल्यों से कुछ लेना देना नहीं है. उसका उद्देश्य है, उसने जो आइडल बनाए हैं उनकी छवि को बनाए रखना(ताकि वे कंपनियों का माल बेच सकें). उसने सचिन और धोनी दोनो का ज़बर्दस्त प्रचार किया.सचिन को इतना प्रचार सिर्फ़ गोपनीय सूचना के आधार पर ही मिल गया. जबकि ऐसा भी संभव है कि इस तरह की कोई डील हुई ही न हो. सोचने की बात है कि इस मीडिया गुणगान से किसे फ़ाइदा हुआ और किसे नुक़सान? इसका समाज पर क्या असर पड़ा?ज़ाहिर सी बात है कि इससे धोनी, सचिन और उन कंपनियों को फ़ाइदा हुआ जिनका वे प्रचार करते हैं. इसका समाज पर यह असर पड़ा कि पैसा कमाना बड़ी चीज़ है चाहे वह शराब के प्रचार से कमाया जाए या किसी दूसरे तरीके से.
सचिन ने अभी अभी कोला के साथ 20 करोड़ की डील की है. माल्या की शराब का विज्ञापन न करना नैतिक मूल्यों की स्थापना है तो कोला का प्रचार करना नैतिक मूल्यों को ध्वस्त करना क्यों नहीं हैं. जबकि यह साबित हो चुका है कि जो पदार्थ इन द्रबो में मिलाए जाते हैं वे शराब की ही तरह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक़ है.इससे सिद्ध हो जाता है कि मीडिआ किन मूल्यो को स्थापित करता है.मीडिआ जैसे माध्यम का सामाजिक मूल्यो पर गहरा प्रभाव पड़्ता है.अब हम समझ गए होंगे कि सामाजिक मूल्यों का जो पतन हो रहा है वह कहाँ से संचालित है और उसे बदलने के लिए हमें क्या बदलना होगा.
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